Uttar Pradesh

Jhansi: चंद्रशेखर आजाद ने इस कुटी में बिताया था अज्ञातवास, जानें ‘आजाद स्मृति मंदिर’ की कहानी



रिपोर्ट- शाश्वत सिंह
झांसी: ‘आजाद था, आजाद हूं और आजाद रहूंगा’, यह पंक्ति अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद अक्सर कहा करते थे. अपनी आजादी को बचाए रखने के लिए वह अज्ञातवास में भी रहे. झांसी के नजदीक सातार नदी के तट पर एक जंगल में उन्होंने अपना अज्ञातवास का समय व्यतीत किया.आज उस स्थान को अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद स्मृति मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर के प्रांगण में चंद्रशेखर आजाद की कुटिया, कुआं और उनके द्वारा स्थापित मंदिर मौजूद है.
1924 में जब ब्रिटिश हुकूमत ने चंद्रशेखर आजाद को गिरफ्तार करने के लिए उनके सिर पर इनाम की घोषणा कर दी थी, तब उन्‍होंने अज्ञातवास में रहने का फैसला लिया. झांसी के रहने वाले मास्टर रुद्र नारायण ने इसमें उनका साथ दिया था. चंद्रशेखर आजाद ने यहां पर एक ब्रह्मचारी का रूप धारण किया और उनका नाम रखा गया हरिशंकर. उन्होंने अपने लिए एक कुटिया तैयार की जिसमें एक मिट्टी का बिछौना भी बनाया. इसी मिट्टी के बिछौने पर वह 1.5 वर्ष तक सोते रहे.
कुआं और मंदिर भी हैं सुरक्षितइसके साथ ही आजाद ने पानी के लिए यहां एक कुआं खोदा था. यह कुआं समय के साथ छोटा होता चला गया, लेकिन आज भी इसे बचाकर रखा गया है. वर्तमान में इसे आजाद कुइयां के नाम से जाना जाता है. चंद्रशेखर आजाद ने कुटिया के पास ही हनुमान जी का एक मंदिर भी स्थापित किया था. इस मंदिर को भी संरक्षित करके रखा गया है, यहां आज भी पूजा अर्चना होती है.
पर्यटकों को नहीं है जानकारीचंद्रशेखर आजाद की कुटिया की रखवाली करने वाले गोपी दास ने बताया कि सन 1924 में चंद्रशेखर आजाद ने यह कुटिया तैयार की थी. देश के आजाद होने के बाद इन सभी जगहों को संरक्षित किया गया. काफी समय बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कुटिया की छत को पक्का करवा दिया था और पूरे इलाके को आजाद स्मृति मंदिर घोषित कर दिया था. दास ने आगे बताया कि इस जगह के बारे में लोग आज भी नहीं जानते हैं और पर्यटक भी अधिक संख्या में यहां नहीं पहुंचते हैं.
जन्म और बलिदान स्थल की मिट्टी भी है मौजूदआजाद स्मृति मंदिर के प्रांगण में ही चंद्रशेखर आजाद जन्म स्थल और बलिदान स्थल के पवित्र मिट्टी को भी रखा गया है. एक कलश में मध्य प्रदेश के भवरा की मिट्टी रखी गई है जो उनकी जन्म स्थली थी. दूसरे कलश में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की मिट्टी रखी गई है जहां उन्होंने बलिदान दिया था. इसके अलावा एक फोटो गैलरी भी बनाई गई है जो चंद्रशेखर आजाद की पूरी जीवन यात्रा को दर्शाती है. यह स्मृति स्थल झांसी से ओरछा जाने वाले रास्ते पर लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है. आप अपने निजी वाहन या पब्लिक ट्रांसपोर्ट से यहां पहुंच सकते हैं.स्मृति स्थल में प्रवेश करने के लिए कोई टिकट नहीं लेना पड़ता है. यह स्मृति स्थल सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: 1857 Kranti, Chandrashekhar Azad, Independence day, Jhansi newsFIRST PUBLISHED : August 08, 2022, 10:01 IST



Source link

You Missed

authorimg
Uttar PradeshNov 10, 2025

दो हजार रुपये की लागत में पचास हजार रुपये की कमाई! जानें खेती से मालामाल होने का यह ‘फर्रुखाबादी फॉर्मूला’

फर्रुखाबाद के किसान अखिलेश ने पारंपरिक खेती छोड़कर गेंदा के फूलों की खेती कर मिसाल पेश की है.…

Jubilee Hills All Set For Bypoll Tomorrow Amid High-Stakes Triangular Contest
Top StoriesNov 10, 2025

जुबीली हिल्स उपचुनाव के लिए तैयार, कल हाई-स्टेक्स ट्राइंगल कांटेस्ट के बीच

हैदराबाद में जुबीली हिल्स विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए उच्च-जोखिम वाले उपचुनाव के लिए मतदान 11 नवंबर को…

Budgam bypoll seen as litmus test for Omar Abdullah government; NC deploys full force to retain seat
Top StoriesNov 10, 2025

बुदगाम उपचुनाव ओमार अब्दुल्ला सरकार के लिए एक प्रयोगशाला के रूप में देखा जा रहा है; एनसी ने सीट को बरकरार रखने के लिए पूरी ताकत झोंकी है।

श्रीनगर: राज्य की नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने बुधगाम उपचुनाव के लिए अपनी पूरी राजनीतिक मशीनरी का इस्तेमाल किया…

Scroll to Top