अगर आप किसान हैं और इस बार आलू की खेती करने की सोच रहे हैं, तो कुफरी ख्याति किस्म आपके लिए बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है. यह एक अगेती-मध्यम अवधि वाली किस्म है, जो 70 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है और कम समय में बंपर पैदावार देती है. इसकी बुवाई का सबसे सही समय अक्टूबर से नवंबर के पहले सप्ताह तक माना जाता है.
जिला उद्यान अधिकारी डॉ. पुनीत कुमार पाठक ने बताया कि आलू की उन्नत किस्म कुफरी ख्याति किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है. यह किस्म 70 से 90 दिनों में तैयार होकर बंपर उपज देती है. इसकी बुवाई के लिए अक्टूबर से नवंबर तक का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है, जिससे किसानों को अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है.
कुफरी ख्याति आलू की एक अगेती और मध्यम अवधि वाली किस्म है. यह बुवाई के बाद लगभग 70 से 90 दिनों में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है. अगेती फसल के रूप में किसान इसे 60 से 70 दिनों में भी खोदकर बाजार में बेच सकते हैं, जिससे उन्हें शुरुआती दिनों में बेहतर दाम प्राप्त हो सकते हैं.
मैदानी क्षेत्रों में कुफरी ख्याति आलू की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच माना जाता है. इस अवधि में बुवाई करने से कंदों का विकास बेहतर होता है और आलू को ठंडक का अनुकूल मौसम मिलने से उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ जाती हैं. अगर किसान अक्टूबर के अंत तक बुवाई नहीं कर पाते हैं, तो वे 15 नवंबर तक भी कुफरी ख्याति आलू की बुवाई कर सकते हैं. हालांकि देर से बुवाई करने पर फसल को तैयार होने में थोड़ा अधिक समय लग सकता है, लेकिन फिर भी इससे 350 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
आलू की बुवाई और अच्छे अंकुरण के लिए 24 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे अनुकूल माना जाता है. कुफरी ख्याति किस्म के कंदों के विकास के लिए 18 से 20 डिग्री सेल्सियस का औसत तापमान उपयुक्त होता है. यदि बुवाई सही समय पर की जाए, तो फसल को यह अनुकूल तापमान मिल जाता है जिससे उत्पादन बेहतर होता है.
कुफरी ख्याति किस्म अगेती और पिछेता झुलसा रोग के प्रति प्रतिरोधी मानी जाती है, जिससे किसानों को फसल में कम नुकसान होता है. इसके कंद आकर्षक सफेद रंग के, चिकने और हल्के अंडाकार आकार के होते हैं, जो बाजार में अच्छी कीमत दिलाते हैं. यह किस्म अपनी अधिक पैदावार क्षमता के लिए भी प्रसिद्ध है. इस किस्म के आलू की मार्केट में सबसे ज्यादा डिमांड है, जो इसकी गुणवत्ता और पैदावार क्षमता के कारण है.

