वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर की अव्यवस्थाओं और सुरक्षा के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाईपावर कमेटी ने अपनी अब तक की 5 बैठकों में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। इनमें से सबसे बड़ा और ऐतिहासिक फैसला मंदिर के तोषखाने को खोलने का है, जो पूरे 54 साल बाद खोला जाएगा।
मंदिर के गर्भगृह के नीचे बने तोषखाने को खोलने के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी में एक ऑडिटर, सिविल जज, एसीएम वृंदावन, सीओ वृंदावन और गोस्वामी समाज का प्रतिनिधि सदस्य होंगे। तोषखाना खोलते समय पूरी वीडियोग्राफी होगी और उसकी रिपोर्ट संयुक्त हस्ताक्षर के साथ हाईपावर कमेटी को सौंपी जाएगी।
बांके बिहारी जी के खजाने में कई दुर्लभ और बेशकीमती आभूषण शामिल हैं। इनमें पन्ना का मोरनी हार, सहस्त्र फनी रजत शेषनाग, स्वर्ण कलश में रखे गए नवरत्न और दुर्लभ आभूषण व गहने शामिल हैं। यह खजाना आखिरी बार साल 1971 में खोला गया था, जिसके बाद कई बेशकीमती आभूषण बैंक में जमा कर दिए गए थे।
मंदिर के इतिहासकार आचार्य प्रह्लाद वल्लभ गोस्वामी के अनुसार, तोषखाने का निर्माण वर्ष 1864 में वैष्णव परंपरा के तहत करवाया गया था। यह मंदिर की धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर का अहम हिस्सा है। उन्होंने बताया कि यह तोषखाना मंदिर के गर्भगृह में श्री बांके बिहारी जी महाराज के सिंहासन के ठीक नीचे है।
हाईपावर कमेटी ने यह भी निर्देश दिया है कि मंदिर के पास कितनी चल व अचल संपत्ति है, इसका पूरा विवरण 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत किया जाए। साथ ही, 2013 से 2016 के बीच की अवधि का विशेष ऑडिट भी कराया जाएगा।
अब मंदिर की सुरक्षा की जिम्मेदारी निजी गार्ड्स के बजाय पूर्व सैनिकों या नामचीन सिक्योरिटी एजेंसी को सौंपी जाएगी। आईआईटी रुड़की से मंदिर की संरचना और भवन की मजबूती के लिए स्ट्रक्चरल ऑडिट कराया जाएगा।
इन निर्णयों से मंदिर की सुरक्षा और संरचना में सुधार होगा और श्रद्धालुओं के लिए यह एक सुरक्षित और सुविधाजनक स्थान बनेगा।