मुरादाबाद दुनिया भर में पीतल नगरी के नाम से पहचाना जाता है. यहां तैयार होने वाले पीतल के बर्तन, मूर्तियां और खास तौर पर पीतल के लोटे देश-विदेश में भारी डिमांड में हैं. पारंपरिक नक्काशी और शुद्ध पीतल से बने ये लोटे न सिर्फ पूजा में इस्तेमाल होते हैं, बल्कि एक्सपोर्ट क्वालिटी की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी खूब पसंद किए जाते हैं।
उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद पूरे विश्व में पीतल नगरी के नाम से मशहूर है. यहां सदियों से पीतल का काम बड़े पैमाने पर किया जाता रहा है. यही वजह है कि इस शहर में पीतल की देवी-देवताओं की मूर्तियां, सजावटी सामान और घरेलू उपयोग की कई चीजें तैयार कर देश-विदेश में भेजी जाती हैं. इन्हीं में से एक है पीतल का लोटा, जिसकी डिमांड न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी लगातार बढ़ रही है. मुरादाबाद में पारंपरिक तरीके से तैयार किए जाने वाले लोटे अपनी मजबूत क्वालिटी, खूबसूरत नक्काशी और चमक की वजह से दुनियाभर में नाम कमा रहे हैं।
पूजा उत्पादों में भी खूब चलता है लोटा पिंकी हैंडीक्राफ्ट के मालिक मनीष अग्रवाल बताते हैं कि उनका काम पूजा आर्टिकल्स से जुड़ा है, जिसमें पूजा की मूर्तियों से लेकर पूजा में इस्तेमाल होने वाले बर्तन तक सब कुछ शामिल है. वे बताते हैं कि मुरादाबाद में पीतल का लोटा पूरी तरह स्थानीय स्तर पर ही तैयार किया जाता है. इसकी नक्काशी, डिजाइन, मशीनिंग और फिनिशिंग सभी काम यहीं के कारीगरों द्वारा किए जाते हैं. यही वजह है कि मुरादाबाद का बना हुआ लोटा देश-विदेश के बाजारों में आसानी से पहचाना जाता है और वहां इसकी स्थाई डिमांड बनी रहती है।
इन दिनों खासतौर पर बारीक नक्काशी वाले लोटों की ज्यादा मांग देखने को मिल रही है क्योंकि यह देखने में सुंदर होते हैं और लंबे समय तक अपनी चमक बनाए रखते हैं. पारंपरिक तरीके से तैयार होने वाले ये लोटे मुरादाबाद की पहचान को मजबूत करते हुए हर साल बड़ी मात्रा में देश-विदेश में एक्सपोर्ट किए जाते हैं. इन लोटों की कीमत 50 से 45,000 रुपये तक हो सकती है, जो उनकी गुणवत्ता और डिजाइन के आधार पर निर्धारित की जाती है.

