पैंक्रियाटिक कैंसर अग्नाशय के सेल्स में बदलाव और तेजी से बढ़ने के कारण होता है. यह एक छोटा सा ग्लैंड है, जो स्पाइन और पेट के बीच मौजूद होता है. इसमें ब्लड शुगर को कंट्रोल करने वाला हार्मोन इंसुलिन और डाइजेशन में मदद करने वाले एंजाइम बनते हैं.
ये कैंसर आमतौर पर पैंक्रियाटिक डक्ट से शुरू होते हैं, जो बाइल डक्ट से जुड़े होते हैं. शुरुआती स्टेज पर इमेजिंग टेस्ट में ये कैंसर ट्यूमर नहीं दिखते हैं. जिसके कारण मरीज को तब तक अपनी इस बीमारी के बारे में नहीं पता लग पाता है, जब तक कैंसर फैल नहीं जाता है. फिर भी अगर लोग शुरुआती चेतावनी संकेतों को समय पर पहचान लें, तो इलाज और इससे बचने की संभावना बढ़ सकती है.
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अग्न्याशय कैंसर के लक्षण
पीठ में लगातार दर्द
पैंक्रियाटिक कैंसर के शुरुआती स्टेज में पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है, जो पीठ तक जा सकता है. यह दर्द हल्का, तेज या सुस्त होता है जो खाने या आराम करने के दौरान बढ़ सकता है. अगर यह दर्द लंबे समय तक बना रहे और दवाओं से आराम न मिले, तो डॉक्टर से जांच करवाएं.
अचानक वेट लॉस और भूख न लगना
अगर अचानक वजन तेजी से घट रहा है और भूख कम हो रही है, तो यह पाचन तंत्र में गड़बड़ी और पैंक्रियाटिक कैंसर का संकेत हो सकता है. इस लक्षण के लंबे समय तक बने रहने से बॉडी में थकान और कमजोरी भी हो सकती है.
पीलिया के लक्षण
पीलिया के संकेत जैसे त्वचा और आंखों का पीला पड़ना, गहरे रंग का पेशाब, और हल्के रंग का मल, पैंक्रियाटिक कैंसर में पित्त नली के ब्लॉकेज के कारण नजर आ सकते हैं.
पाचन संबंधी समस्याएं
लगातार अपच, मतली, उल्टी, दस्त या कब्ज होना, और हल्के तैरते हुए मल—ये सभी लक्षण पाचन तंत्र में रुकावट के कारण होते हैं. अगर ये समस्याएं लंबे समय तक बनी रहें, तो जांच जरूरी है.
शुगर कंट्रोल न होना
अग्न्याशय में कैंसर होने पर इंसुलिन का निर्माण प्रभावित होता है, जिससे अचानक डायबिटीज हो सकती है या पहले से मौजूद डायबिटीज बिगड़ सकती है. बिना कारण डायबिटीज होना, गंभीर बीमारी का संकेत है.
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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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