5 हजार साल बाद इस पेड़ में निकला फूल, समुद्र मंथन से जुड़ा है इतिहास, जानिए इसका ऐतिहासिक महत्व

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Last Updated:July 16, 2025, 23:51 ISTसमुद्र मंथन में निकले 14 रत्न में एक रत्न पारिजात वृक्ष भी था जो सुल्तानपुर जिले में मौजूद है. सुल्तानपुर स्थित इस वृक्ष को उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य विरासत वृक्ष का दर्जा दिया है. ऐसी मान्यता पाने वाला यह वृ…और पढ़ेंभारत विविधताओं का देश रहा है. धर्म के मामले में भारत के लोग आज भी आस्था में डूबे रहते हैं. वेदों में जिस तरह गाय को अघन्या माना गया है. उसी तरह वृक्ष को भी देव के समान माना गया है. अगर हम बात करें पारिजात वृक्ष की तो यह अपने आप में अद्भुत वृक्ष है. इसे देव वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है. उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर शहर में गोमती नदी के किनारे पारिजात का एक वृक्ष मौजूद हैं. जो अत्यंत प्राचीन है.

जिसे सुल्तानपुर के पर्यटक स्थलों की सूची में प्रथम दस स्थान में शामिल किया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति इस पारिजात वृक्ष के पास अपनी मन्नत मांगता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. इस पेड़ में 5000 साल बाद फूल निकला है तो आईए जानते हैं इस पेड़ का इतिहास.

समुद्र मंथन के 14 रत्नों में शामिल है पारिजात वृक्ष
मंदिर के पुजारी अंकित श्रीवास्तव ने लोकल 18 से कहा कि भारतीय पुराणों में ऐसी मान्यता है कि जब देवताओं और असुरों में समुद्र मंथन हुआ था तब मंथन से निकले 14 रत्नों में एक रत्न पारिजात वृक्ष भी था. जिसे देवताओं ने देवपति पुरंदर को सौंप दिया जिसके पश्चात देवपति पुरंदर ने इस वृक्ष को सुरकानन में स्थापित करवाया. एक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में भी जब पाण्डवों का कोई ज्ञात वास नहीं था तब माता कुंती ने एक पूजा का आयोजन किया. पूजा में पारिजात वृक्ष के पुष्प को चढ़ाने की आवश्यकता पड़ी तब इसे धरती पर लाया गया था. वहीं पद्मपुराण में कल्पवृक्ष को ही पारिजात वृक्ष के नाम से जाना जाता है.

राज्य विरासत वृक्ष का प्राप्त है दर्जासमुद्र मंथन में निकले 14 रत्न में एक रत्न पारिजात वृक्ष भी था जो सुल्तानपुर जिले में मौजूद है. सुल्तानपुर स्थित इस वृक्ष को उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य विरासत वृक्ष का दर्जा दिया है. ऐसी मान्यता पाने वाला यह वृक्ष जिले का इकलौता वृक्ष है. राज्य विरासत का दर्जा प्राप्त होने के बाद इस वृक्ष को संरक्षित और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्रयास किया गया है.

इस समय निकलता है फूलपारिजात वृक्ष में चैत की रामनवमी से ही पुष्प निकलने लगते हैं यह पुष्प सफेद रंग के होते हैं जो देखने में काफी मनोरम लगते हैं. फूलों की बनावट ऐसी है मानो जैसे कोई देवता का मुख हो. सुल्तानपुर स्थित इस कल्प वृक्ष में सिर्फ सुल्तानपुर के ही लोग नहीं बल्कि देश और प्रदेश की राजधानी के लोग भी दर्शन और पूजन करने के लिए आते हैं.Location :Sultanpur,Uttar Pradeshhomedharm5 हजार साल बाद इस पेड़ में निकला फूल,समुद्र मंथन से जुड़ा इतिहास,जानें मान्यता

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