अयोध्या: हिंदू धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व बताया गया है. शास्त्रों के अनुसार चातुर्मास के चार महीने तक भगवान विष्णु गहरी निद्रा में चले जाते हैं. इस दौरान मान्यता के मुताबिक, कोई भी शुभ अथवा मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक 17 जुलाई यानी कि आज से चातुर्मास का प्रारंभ हो चुका है. सभी शुभ कार्यों पर आज से रोक लग जाएगी. अब 4 महीने तक न तो मंगल शहनाई की गूंज सुनाई देगी. और न ही विवाह की मिठाई मिलेगी. बैंड बाजा शहनाई और विवाह की मिठाई के लिए अब 17 नवंबर तक इंतजार करना होगा. इसके बाद 15 दिसंबर तक विवाह की लगन मिलेगी.अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि 15 जुलाई तक विवाह की अंतिम लग्न थी. लेकिन रात्रि 10:15 के पश्चात विशाखा नक्षत्र प्रारंभ हो गया. इसमें विवाह लग्न नहीं होता. इसके बाद 17 जुलाई से देवशयनी एकादशी तिथि से चातुर्मास का भी शुरुआत हो गई है. चातुर्मास के शुरू होने के साथ ही सभी तरह के मांगलिक अथवा शुभ कार्य पर रोक लगा दी जाती है. पुनः 17 नवंबर से विवाह मांगलिक कार्य का आरंभ होगा यह क्रम 15 दिसंबर तक बना रहेगा.नवंबर-दिसंबर के 29 दिनों में 11 वैवाहिक लग्न हैं शुभइसके अलावा इन 29 दिनों में 11 वैवाहिक लग्न है, जिसमें बारात भी सजेगी. सूर्य के धनु राशि में प्रवेश कर जाने पर खरवास प्रारंभ हो जाएगा और पुनः सभी मांगलिक कार्य 15 जनवरी तक के लिए विराम लग जाएंगे. अयोध्या के ज्योतिष ने बताया कि इसी 17 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच में वधू प्रवेश गृह प्रवेश के लिए भी शुभ मुहूर्त मिलेंगे. इन मुहूर्त का निर्णय वधू के आगमन व प्रवेश की दिशा स्थिति और अन्याय कारक पर निर्भर रहेगा.FIRST PUBLISHED : July 17, 2024, 12:03 IST
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