2021में मुलाकात… नाबालिग से बालिग होने का इंतजार, फिर 2025 में दो बहनें बन गईं मुस्लिम, जम्मू-कश्मीर की सायमा तो छांगुर बाबा से बड़ी खिलाड़ी निकली

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सायमा ने आगरा की दो बहनों को कैसे बनाया मुसलमान, 4 साल तक किया ब्रैनवॉश

आगरा. उत्तर प्रदेश के आगरा में डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली जम्मू-कश्मीर की एक छात्रा सायमा उर्फ खुशबू सहित 10 आरोपियों को अवैध धर्मांतरण के मामले में गिरफ्तार किया गया है. सायमा, जो विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लाइफ साइंस में पढ़ रही थी, उस पर आरोप है कि उसने पिछले चार साल से युवतियों को ब्रेनवॉश कर अवैध धर्मांतरण का एक संगठित नेटवर्क चलाया. इस मामले में पुलिस ने छह राज्यों में छापेमारी कर 11 लोगों को गिरफ्तार किया है, और कोलकाता से पीड़ित बहनों की काउंसलिंग की जा रही है.

यह सनसनीखेज मामला तब सामने आया जब मार्च 2025 में आगरा के सदर बाजार थाने में दो सगी बहनों (33 और 18 वर्ष) के लापता होने की शिकायत दर्ज की गई. पीड़ित परिवार ने बताया कि उनकी बड़ी बेटी विश्वविद्यालय में पीएचडी की तैयारी के लिए कोचिंग ले रही थी. वह 2021 में सायमा उर्फ खुशबू से मिली थी. सायमा, जो जम्मू-कश्मीर के उधमपुर की रहने वाली है, ने कथित तौर पर बड़ी बहन को ब्रेनवॉश किया और उसे जम्मू ले गई. इसके बाद उसने छोटी बहन को भी अपने प्रभाव में ले लिया.

पुलिस जांच में पता चला कि सायमा ने दोनों बहनों को इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर किया और पूरे परिवार को धर्मांतरण के लिए निशाना बनाया. बड़ी बहन ने सोशल मीडिया पर एक ऐसी तस्वीर डाली थी, जिसमें एक लड़की AK-47 राइफल लिए हुए थी, जिसने जांच को और गंभीर कर दिया.

सायमा की भूमिका और नेटवर्क

पुलिस के अनुसार, सायमा पिछले चार साल से विश्वविद्यालय में पढ़ाई के बहाने युवतियों को निशाना बना रही थी. वह हिंदू लड़कियों को दोस्ती के जाल में फंसाती थी और फिर धार्मिक कट्टरता और ब्रेनवॉशिंग के जरिए उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए उकसाती थी. जांच में यह भी सामने आया कि सायमा का यह नेटवर्क कथित तौर पर प्रतिबंधित संगठनों जैसे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI), स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI), और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था.

डार्क वेब और डेटिंग ऐप से युवतिओं को फंसाते थे

आगरा पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने बताया, “सायमा और उसके सहयोगी सोशल मीडिया, डार्क वेब, और डेटिंग ऐप्स के जरिए युवतियों को फंसाते थे. यह गिरोह ‘लव जिहाद’ और कट्टरपंथी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए विदेशी फंडिंग का उपयोग कर रहा था, जिसमें कनाडा, अमेरिका, और दुबई से धनराशि आने के सबूत मिले हैं.”

पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारियां

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर शुरू किए गए ‘मिशन अस्मिता’ अभियान के तहत आगरा पुलिस ने सात विशेष टीमों का गठन किया. इन टीमों ने कोलकाता, जम्मू-कश्मीर, गोवा, राजस्थान, दिल्ली, और उत्तराखंड में छापेमारी कर 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार आरोपियों में सायमा उर्फ खुशबू (गोवा), अली हसन उर्फ शेखर राय (कोलकाता), ओसामा (कोलकाता), रहमान कुरैशी (आगरा), अब्बू तालिब (मुजफ्फरनगर), अब्दुर रहमान (देहरादून), मोहम्मद अली (जयपुर), जुनैद कुरैशी (जयपुर), एक अन्य मोहम्मद अली (राजस्थान), और मुस्तफा उर्फ मनोज (दिल्ली) शामिल हैं.

पुलिस रिमांड पर सभी आरोपी

आरोपियों को आगरा की एक अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. पुलिस अब इनसे पूछताछ कर नेटवर्क के अन्य सदस्यों और विदेशी फंडिंग के स्रोतों का पता लगाने की कोशिश कर रही है. भारतीय दंड संहिता की धारा 87, 111(3), 111(4), और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

पीड़ित बहनों की काउंसलिंग

पुलिस ने दोनों बहनों को कोलकाता के एक घर से बरामद किया, जहां उन्हें उनके परिवार की मौजूदगी में बचाया गया. दोनों बहनों की वर्तमान में काउंसलिंग चल रही है ताकि उन्हें सामान्य जीवन में वापस लाया जा सके. पुलिस सूत्रों के अनुसार, बड़ी बहन को सायमा ने 2021 में कोचिंग के दौरान निशाना बनाया था, और उसकी मदद से छोटी बहन भी ब्रेनवॉश का शिकार हुई. परिवार का कहना है कि सायमा ने उनकी बेटियों को कश्मीरी लड़कियों के एक समूह के जरिए प्रभावित किया था.

विश्वविद्यालय का एक्शन

डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले पर आश्चर्य जताया है और कहा है कि वे पुलिस जांच में पूरा सहयोग करेंगे. विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया, “हमें इस तरह की गतिविधियों की कोई जानकारी नहीं थी. हम इस मामले की गंभीरता को समझते हैं और जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं.”

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