निठारी कांड का सह-आरोपी सुरेंद्र कोली जेल से रिहा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मंगलवार शाम उसे ग्रेटर नोएडा की लुक्सर जेल से बाहर निकाला गया। कोली पिछले एक साल से लुक्सर जेल में बंद था, जहां उसे गाजियाबाद जेल से स्थानांतरित किया गया था। पुलिस की अभिरक्षा में उसे रिहा किया गया। सुरेंद्र कोली मुस्कुराते हुए जेल से बाहर निकाला गया, इस दौरान उसने कोट-पैंट पहना हुआ था।
कोली पर निठारी कांड से जुड़े भयावह मामलों में कुल 13 केस दर्ज थे। इनमें से 12 मामलों में वह पहले ही बरी हो चुका था, जबकि 13वां मामला (रिम्पा हल्दर केस) में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इस फैसले को चुनौती देते हुए उसने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की गहन सुनवाई के बाद उसकी सजा रद्द करते हुए रिहाई का आदेश दिया।
जेल से औपचारिक प्रक्रिया के बाद रिहा अदालत से रिहाई का आदेश जारी होने के बाद मंगलवार देर शाम संबंधित परवाना लुक्सर जेल पहुंचा। सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद सुरेंद्र कोली को रिहा किया गया। उसकी रिहाई के समय उसका वकील जेल पर मौजूद था और पुलिस अभिरक्षा में उसे बाहर ले जाया गया। बताया जा रहा है कि कोली का भाई दिल्ली में रहता है और रिहा होने के बाद वह वहीं चला गया।
निठारी गांव (सेक्टर-31, नोएडा) में 2005-2006 के बीच कई बच्चों और महिलाओं की सिलसिलेवार हत्याओं और यौन शोषण के मामले सामने आए थे। इस केस में कोली के साथ मोनिंदर सिंह पंढेर का नाम भी आया था। 30 जुलाई 2025 को पंढेर को भी सभी मामलों से बरी कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद कोली की रिहाई ने इस कांड को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है।
पीड़ितों की आंखों में फिर छलका दर्द
पीड़ित परिवारों ने इस फैसले पर गहरी नाराजगी जताई है। एक पीड़ित सुनीता ने कहा, ‘ये सिर्फ पुलिस या कोर्ट का मामला नहीं, ये हमारी हकीकत थी। हमने देखा कि नाले से बोरी भर-भर कर कंकाल निकाले गए। गांव की बच्चियां गायब हुईं, उनके अवशेष वहीं मिले। कोली ने खुद स्वीकार किया था कि उसने रेप और मर्डर किए, तो अब सबूत कहां गए?’
पंढेर ने मानीं बातें, लेकिन झाड़ ली जिम्मेदारी
इस केस के दूसरे आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर ने हाल ही में दिए इंटरव्यू में कई बातें मानीं। उसने स्वीकार किया कि वह अपनी कोठी में कॉलगर्ल बुलाता था और उसके दोस्त या भतीजे अक्सर वहां रुकते थे। उसका कहना था कि सभी हत्याएं मेरी गैरमौजूदगी में हुईं।
केस की टाइमलाइन
आपको बता दें, एक युवती के लापता होने पर स्थानीय कोर्ट के आदेश पर 7 अक्टूबर 2006 में पहली FIR दर्ज हुई थी। 29 दिसंबर 2006 को बोरी में भरकर कंकाल मिले थे। 2007 में इस मामले की जांच CBI को सौंपी गई थी। 2008 में दोनों को फांसी की सजा सुनाई गई। 2012, 2014, 2015 में फैसले बदलते गए। 2023 में हाईकोर्ट ने पंढेर और कोली दोनों को बरी कर दिया और अब 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने भी यही फैसला बरकरार रखा।

