जौनपुर की आरती ने देसी गाय के गोबर से बनाए उत्पादों की दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। उनकी सफलता की कहानी जौनपुर की हर महिला के लिए प्रेरणा है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि गांव की मिट्टी और देसी गाय का गोबर भी सफलता की नई रोशनी जला सकता है।
जौनपुर की आरती ने देसी गाय के गोबर से न सिर्फ दिए बनाना शुरू किया, बल्कि आज वह डेढ़ सौ से अधिक तरह के प्रोडक्ट तैयार कर रही हैं। दीपावली के मौके पर उनके बनाए दिए, मूर्तियां और सजावटी वस्तुएं न सिर्फ जिले में बल्कि लखनऊ, वाराणसी और प्रयागराज की बाजारों में भी बिक रही हैं।
आरती बताती हैं कि कुछ साल पहले तक वह एक सामान्य गृहिणी थीं और परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। लेकिन जब उन्होंने सरकार के समूह प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत ‘गोबर आधारित उत्पाद निर्माण’ का प्रशिक्षण लिया, तो उनकी जिंदगी की दिशा ही बदल गई। उन्होंने देसी गाय के गोबर से प्रयोग शुरू किया और शुरुआत में साधारण दिए और अगरबत्ती बनाने लगीं। धीरे-धीरे उन्होंने उसमें फूलों, मिट्टी और प्राकृतिक रंगों का प्रयोग कर इको-फ्रेंडली उत्पाद तैयार किए।
आज आरती के पास 15 महिलाओं की टीम है जो प्रतिदिन सैकड़ों दिए, धूपबत्ती, मूर्तियां, दीवार सजावट और पूजा सामग्री तैयार करती हैं। इन उत्पादों की खासियत यह है कि इनमें कोई रासायनिक पदार्थ नहीं होता। गोबर, गौमूत्र, नीम की पत्तियां, तुलसी और देशी मिट्टी का मिश्रण इनका आधार होता है। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान नहीं होता बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।
दीपावली के इस मौसम में आरती के बनाए गोबर के दिए और दीप सेट्स की मांग इतनी बढ़ गई है कि ऑर्डर पूरा करना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने बताया, ‘लोग अब पर्यावरण और परंपरा दोनों को महत्व दे रहे हैं। गोबर के दिए न केवल सुंदर दिखते हैं, बल्कि जलने के बाद मिट्टी में मिलकर खाद का काम करते हैं।’
आरती ने अपने घर के आंगन को ही मिनी वर्कशॉप बना रखा है, जहां महिलाएं एक साथ बैठकर दिए बनाती हैं। फिर दिए रंगती हैं और पैकिंग करती हैं। उनके इस काम से कई महिलाओं को रोजगार भी मिला है। अब उनका सपना है कि वह अपने ब्रांड को ‘क्राफ्ट जौनपुर’ के नाम से रजिस्टर कर पूरे देश में पहचान दिलाएं।
आरती का कहना है, ‘अगर हम देसी संसाधनों का सही उपयोग करें तो गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं। देसी गाय का गोबर हमारे लिए सोने से कम नहीं है, बस जरूरत है उसे पहचानने और सही दिशा में प्रयोग करने की।’
आज आरती की यह सफलता कहानी जौनपुर की हर महिला के लिए प्रेरणा है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि गांव की मिट्टी और देसी गाय का गोबर भी सफलता की नई रोशनी जला सकता है।

