Mukhtar Ansari: A Career in Crime and Politics: मुख्तार अंसारी अपराध की काली दुनिया का इतना बड़ा सरताज था कि उनके जीते ही उनके जीवन पर एक सीरीज रक्तांचल बन गई. लेकिन यकीन मानिए इस दुर्दांत माफिया डॉन का जीवन इस सीरीज से कहीं ज्यादा खौफनाक था. बेहद संभ्रात परिवार में पैदा होने के बावजूद मुख्तार अंसारी ने 15 साल की उम्र में ही क्राइम को अपना महबूबा बना लिया. लोगों पर दबदबा कायम करना और लोगों को सरेआम तकलीफ देने में उसे बहुत सुकून मिलता था. पूर्वी उत्तर प्रदेश में सरकारी ठेके और फिरौती के जरिए अपने रसूख को बढ़ाते-बढ़ाते मुख्तार अंसारी ने 36 साल तक अपना दबदबा कायम रखा. लेकिन अंत भी बहुत दर्दनाक हुआ. उनपर 65 मामले दर्ज हुए और पिछले कई सालों से वह देश के विभिन्न जेलों का चक्कर काट रहे थे. अंत में जेल में ही उनकी मौत हुई और अपराध की एक दुनिया का अंत हो गया. यहां सिलसिलेवार तरीके से जानिए उसके काले करतूत का कारनामा..

15 साल में कानून के साथ पहला मुठभेड़मुख्तार अंसारी का जन्म देश के बेहद संभ्रात परिवार में 1963 में हुआ था. उनके दादा डॉ. एम ए अंसारी थे जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों के अध्यक्ष बने. इतने बड़े परिवार में मुख्तार अंसारी का जन्म हुआ लेकिन 15 साल की उम्र में ही मुख्तार अंसारी ने अपराध की काली दुनिया में दाखिला ले लिया. कानून के साथ उनकी पहली मुठभेड़ तब हुई जब उन पर गाजीपुर के सैदपुर पुलिस स्टेशन में आपराधिक धमकी देने का मामला दर्ज किया गया. इसके अगले 10 सालों तक वे मऊ और आसपास के इलाके का कुख्यात अपराधी बन चुका था. यानी 25 साल की उम्र तक उसने पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश के अपने आपराधिक दबदबे में ले लिया. इसके साथ ही वह कई सरकारी ठेके लेने लगे और माफिया सर्किल का बेताज बादशाह बन गया.

1996 में पहली हत्या का मुकदमाएक दशक बाद 1986 में मुख्तार अंसारी के खिलाफ गाजीपुर के मुहम्मद पुलिस स्टेशन में मर्डर का मुकदमा दायर हुआ. इसके बाद अंसारी इतने तरह के अपराध करने लगे कि इसकी गिनती भी नहीं की जा सकती है. अगले एक दशक यानी 1996 तक उनपर हत्या, अपहरण सहित गंभीर आरोपों के तहत उनपर 14 और मामले दर्ज हुए. मुख्तार अंसारी का क्रमिनल ग्राफ बढ़ता ही चला गया. दिलचस्प बात यह है कि इतना बड़ा अपराधी होने के बावजूद मुख्तार अंसारी को राजनीति में आने में कोई परेशानी नहीं हुई. यह वह दौर था जब उत्तर भारत की राजनीति में अपराध घुलमिल चुका था.

33 साल की उम्र में पहली बार विधायकमुख्तार अंसारी पहली बार 1996 में 33 साल की उम्र में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर मऊ से विधायक बने. लेकिन इसके बाद 2002 और 2007 में अंसारी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मऊ से यूपी विधानसभा के लिए चुने गए. 2012 में उसने अपनी पार्टी कॉमी एकता दल बना ली और मऊ से फिर विधायक बने. 2017 में एक बार फिर अंसारी इसी सीट से जीत गए. 2022 के यूपी विधानसभा के चुनाव में मुख्तार अंसारी ने यह सीट अपने बेटे अब्बास अंसारी के लिए छोड़ दी और अब्बास अंसारी इस सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से विधायक भी हैं. हालांकि अब्बास अंसारी भी जेल में बंद है.

यूपी के वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष के भाई की मौत में उम्रकैदमुख्तार अंसारी किसी को नहीं बख्शते थे. 3 अगस्त 1991 को जब अवधेश राय और उनके भाई अजय वाराणसी के लहुराबीर इलाके में अपने घर के बाहर खड़े थे, तब अवधेश राय को गोलियों से भून दिया गया था. इस मामले में पांच जून, 2023 को वाराणसी की एक अदालत ने मुख्तार अंसारी को आजीवन कारवास की सजा सुनाई थी. अजय राय आज यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष हैं.

बीजेपी नेता कृष्णानंद राय पर 500 राउंड गोलियांयह वह समय था जब पूर्वी उत्तर प्रदेश में मुख्तार अंसारी और उनके भाई अफजाल अंसारी के नाम से ही लोग थर्राने लगते थे. 2002 के विधानसभा चुनाव में अंसारी के प्रभाव वाले मोहम्मदाबाद सीट से अफजाल अंसारी को उतारा गया लेकिन पहली बार अंसारी बंधुओं को इस इलाके में चुनौती मिली और वह चुनौती कोई और नहीं बल्कि कृष्णानंद राय ने दी. राय बीजेपी से विधायक बने. राजनीति रसूख के इस मात को अंसारी बंधुओं ने बर्दाश्त नहीं किया और 29 नवंबर 2005 को जब कृष्णानंद राय एक कार्यक्रम का उदघाटन कर लौट रहे थे तभी एक संकरी रास्ते पर उनके काफिले पर ताबड़तोड़ गोलियों बरसाई गई. कहा जाता है कि इसमें एक-47 से 500 के करीब गोलियां चलाई गईं. कृष्णानंद राय और 7 अन्य की घटनास्थल पर ही मौत हो गई. इस सनसनीखेज हत्याकांड से पूरा पूर्वांचल थर्रा गया.

हर तरफ मुकदमे ही मुकदमेजब मुख्तार अंसारी के बुरे दिन की शुरुआत हुई तो उनपर हर तरह से मुकदमे ही मुकदमे होते चले गए. 2005 से अब तक मुख्तार अंसारी यूपी और पंजाब के जेल में बंद रहे. 2005 के बाद अंसारी पर 28 आपराधिक केस दर्ज किए गए जिनमें हत्या, फिरौती और गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है. सितंबर 2022 से मुख्तार अंसारी 8 विभिन्न आपराधिक केस में दोषी साबित हो चुके थे जबकि 21 केस में उनपर सुनवाई चल रही थी. 37 साल पहले अंसारी ने जिस फर्जी हस्ताक्षर पर हथियार का लाइसेंस बना लिया था, उस मामले में पिछले महीने ही उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. 15 दिसंबर 2023 वाराणसी के सांसद, विधायक कोर्ट ने महावीर प्रसाद रुंगटा को जान से मारने की धमकी देने के मामले में साढ़े पांच साल की सजा सुनाई थी. कई मामलों में अगले कुछ महीनों में ही फैसला होने वाला था. (इनपुट-पीटीआई) 
.Tags: Banda News, Mukhtar ansari, UP newsFIRST PUBLISHED : March 29, 2024, 02:36 IST



Source link