Uttar Pradesh

14 साल के बाद ददुआ गैंग का मास्टरमाइंड रिहा, जानिए कौन है फांसी के फंदे से बचने वाला सूबेदार पटेल



चित्रकूट: तीन दशकों तक जरायम की दुनिया में आतंक फैलाने वाले दस्यु सम्राट ददुआ गैंग के मास्टरमाइंड व गनर कहे जाने वाले राधे उर्फ सूबेदार पटेल की 14 साल 11 माह बाद जेल से रिहाई हो गयी है. जेल से बाहर आने के बाद परिजनों और समर्थकों ने उनका जोरदार स्वागत किया. चित्रकूट जनपद में दस्यु सम्राट ददुआ गैंग तीन दशकों तक आतंक का पर्याय था, जिसके आतंक से यूपी और एमपी सरकार को सीधी चुनौती मिलती थी. बसपा सरकार में इस गैंग का खात्मा हो गया था.

इस गैंग के मास्टरमाइंड व गनर कहे जाने वाला राधे उर्फ सूबेदार पटेल सदर कोतवाली क्षेत्र के सपहा गांव का रहने वाला है. दस्यु सम्राट ददुआ के साथ अपराध की स्याह दुनिया में कदम रखने के बाद इस गैंग ने कई खौफनाक वारदातों को अंजाम दिया था. उसने अपने रूतबे से गैंग में मास्टरमाइंड का दर्जा हासिल कर लिया था.

सन 2007 में ददुआ के एसटीएफ के हाथों मारे जाने के बाद 2008 में राधे उर्फ सूबेदार पटेल ने अपने चार साथियों के साथ मध्यप्रदेश के बरौंधा थाने में सरेंडर किया था. जिसके बाद वह मध्यप्रदेश के जेल में बंद था. यूपी पुलिस के अपनी कस्टडी में लेने के बाद वह चित्रकूट के रगौली जेल में बंद था. उस पर लूट, डकैती और मर्डर जैसे 100 से ज्यादा संगीन मामले न्यायालय में विचाराधीन थे. करीब 8 मामलों में जिला न्यायालय ने दोषी करार देते हुए उम्र कैद और फांसी की सजा भी सुनाई थी.

निचली अदालत के इस फैसले को आरोपी डकैत ने उच्च न्यायालय में चुनौती थी. जिस पर अदालत ने उसकी रिहाई के आदेश जारी किए. इसके बाद सोमवार देर शाम इनामी डकैत राधे और सूबेदार की रिहाई हो गई है. रिहाई की खबर सुनते ही दस्यु सम्राट ददुआ के बेटे व पूर्व विधायक वीर सिंह भी उनको लेने के लिए जिला जेल रगौली पहुंचे थे. जहां डकैत राधे के परिजनों और सैकड़ों की तादाद में उनके समर्थक मौजूद थे.

डकैत राधे के बाहर निकलते ही लोगों ने फूल माला पहनाकर उनका स्वागत किया. वही रिहाई के बाद राधे उर्फ सूबेदार का कहना है कि गांव दारी में जमीनी विवाद जैसे रंजिश में उन्होंने जंगल का रास्ता अपनाया था. तीन दशकों तक वह बागी था. उस पर कई मुकदमे थे जो कोर्ट में विचाराधीन थे. अब सभी मामलों पर बरी होने पर उसकी रिहाई हुई है. अब वह सामाजिक जीवन जिएंगे और समाज की सेवा करेंगे. पूर्व में किए हुए अपराधों के लिए उन्हें पश्चाताप है.

वही इस मामले में उसके बेटे अरिमर्दन सिंह का कहना है कि उसके पिता की रिहाई के बाद पूरा परिवार खुश है. जब उनके पिता बागी हुए थे उस समय वह 15 साल के थे. अरिमर्दन ने अपने पिता को समझा कर सरेंडर कराया था. उन पर कई मुकदमे थे जो अब बरी हो गए है.
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