11 साल की उम्र में शादी, दरोगा से इंस्पेक्टर बनने का सफर, कवि बनने के बाद लाखों में हैं फालोवर्स, जानें कौन हैं धर्मराज उपाध्याय

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सुलतानपुर: फेसबुक हो या यूट्यूब, फिर चाहे ट्विटर हो या वाट्सए यूपी पुलिस के एक इंस्पेक्टर हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं. बाराबंकी जनपद में तैनात इंस्पेक्टर धर्मराज उपाध्याय की एक कविता ने तो सोशल मीडिया पर धूम मचा दिया था. इंस्पेक्टर हर माहौल में कविता बनाने में माहिर हैं. लोग इन्हें इंस्पेक्टर के साथ-साथ कवि भी बोलते हैं. आइये जानते हैं कौन हैं यूपी पुलिस के इंस्पेक्टर धर्मराज उपाध्याय…

“नवंबर जस मजा जनवरी मा न पइहो,गद्दा जस मजा दरी मा न पइहो,ठांस के पिस्टल, बुलेट से चलिहौदरोगा जस मजा,मास्टरी मा न पइहो.”

अपनी इन पंक्तियों के माध्यम से सोशल मीडिया पर वायरल हुए उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में कार्यरत इंस्पेक्टर धर्मराज उपाध्याय की ये कविता आश्चर्यचकित करने वाली है. दरअसल, धर्मराज उपाध्याय की लंबाई काफी छोटी थी. वह पुलिस विभाग में भर्ती होना की सोच रहे थे, लंबाई कम होने की वजह से वह निराश थे, लेकिन 20 साल की उम्र के बाद उनकी लंबाई में अचानक बढ़ोतरी हुई और आज वह इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं.

इन सबसे अलग धनराज उपाध्याय की पहचान एक कवि के रूप में होती है. आए दिन करेंट मुद्दों पर वह अपनी पंक्तियों के माध्यम से अपनी बात रखते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं धर्मराज उपाध्याय के बारे में कि आखिर उनका पुलिस बनने का सफर कब शुरू हुआ और आज वे किन उपलब्धियां को हासिल कर चुके हैं.

जानें कहां से हुई पढ़ाई

उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले में पैदा हुए धर्मराज उपाध्याय ने किसान डिग्री कॉलेज श्रावस्ती से बी.एस.सी. और राजनीति विज्ञान विषय के साथ पोस्ट ग्रेजुएट किया है. इसके साथ ही उन्होंने बीएड की भी डिग्री हासिल की है. साल 2000 में बतौर दरोगा के रूप में इनकी नियुक्ति पुलिस विभाग में हुई और आज इंस्पेक्टर के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं.

यह रहा पारिवारिक बैकग्राउंड

धर्मराज उपाध्याय अपने 4 भाइयों और एक बहन में दूसरे स्थान पर हैं. इनके पिता फूल प्रसाद शिक्षा विभाग में क्लर्क के रूप में सेवा दे चुके हैं. वहीं, माता तारा देवी ने गृहणी के तौर पर धर्मराज को निखारने का काम किया. इनके बड़े भाई भी पुलिस में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इंस्पेक्टर बनने को लेकर इनके परिवार ने काफी सपोर्ट किया और आज ड्यूटी में पुलिस विभाग के अधिकारी भी काफी सपोर्ट करते हैं.

पढ़ाई के दरमियान ही लिखने का था शौक

वैसे तो धर्मराज पिछले चार-पांच सालों में ज्यादा पॉपुलर हुए, लेकिन कविताएं शायरियां लिखना इनका पढ़ाई की दरमियां रहता था. इसके साथ ही इन्होंने अपने जीवन में खेल पढ़ने और सोना इसको आदत में शामिल किया है.

छोटी उम्र में ही हुई शादी

मुंशी प्रेमचंद, तुलसीदास और कबीरदास को अपना आदर्श मानने वाले धर्मराज जब यह 11 साल के थे. तभी उनकी शादी हो गई और 17 साल की उम्र में इनका गौना आया. इस दरमियान उनकी हाइट कम होने की वजह से इनके गांव वाले इनको चिढ़ाते भी थे. कहते थे कि तुम्हारी हाइट तुम्हारे लेखपाल ससुर ने कम नापी है, लेकिन 20 साल की उम्र के बाद उनकी हाइट में अचानक परिवर्तन हुआ, जिससे यह पुलिस विभाग में भर्ती हो पाए.

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