लंबे समय तक जीने वालों के खून में पाए गए ज़रूरी अंतर (Vital Differences Found in the Blood of Centenarians)
उम्र बढ़ने के साथ सेहत को लेकर कई तरह की चुनौतियां सामने आती हैं. फिर भी, कुछ लोग 100 साल या उससे भी ज्यादा उम्र तक जीते हैं. ऐसे लोगों को “सौ साल से ज्यादा जीने वाले” (centenarians) कहा जाता है. वैज्ञानिक यह जानने के लिए लंबे समय से शोध कर रहे हैं कि आखिरकार ये लोग इतनी लंबी उम्र कैसे हासिल कर लेते हैं. हाल ही में हुए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि सौ साल से ज्यादा जीने वालों के खून में कुछ खास अंतर होते हैं.
शोध में क्या पाया गया (Research Findings)
अध्ययन में वैज्ञानिकों ने उन लोगों के खून का परीक्षण किया जो 60 साल के थे और उन लोगों का भी जो 100 साल या उससे ज्यादा उम्र के थे. शोध में पाया गया कि:
सौ साल से ज्यादा जीने वालों के खून में आम तौर पर ग्लूकोज, क्रिएटिनिन और यूरिक एसिड का स्तर कम पाया गया. ये वे तत्व हैं जो शरीर में चयापचय (metabolism) की प्रक्रिया को दर्शाते हैं.
हालांकि, इन तत्वों के औसत मान में खासा अंतर नहीं देखा गया, लेकिन सौ साल से ज्यादा जीने वालों में इनका स्तर बहुत कम या बहुत ज्यादा नहीं पाया गया. उदाहरण के लिए, इनमें से बहुत कम लोगों के खून में ग्लूकोज का स्तर 6.5 mmol/L से ज्यादा पाया गया.
वहीं, कुछ अन्य बायोमार्कर्स, जो लीवर फंक्शन को दर्शाते हैं, सौ साल से ज्यादा जीने वालों और बाकी लोगों दोनों में ही सामान्य रेंज से बाहर पाए गए.
निष्कर्ष (Conclusion)
इस शोध से पता चलता है कि लम्बे समय तक जीने वाले लोगों में चयापचय क्रिया से जुड़े कुछ खास तत्वों का स्तर संतुलित रहता है. साथ ही, शरीर के अंगों के सही से काम करने का भी इससे संबंध हो सकता है. हालांकि, इस अध्ययन से यह पता नहीं चलता है कि आखिरकार जीन या जीवनशैली में कौन सा कारक ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
गौर करने वाली बात ये है कि यह अध्ययन सिर्फ खून के कुछ तत्वों पर आधारित है. लंबी उम्र का रहस्य जानने के लिए और ज्यादा शोध की जरूरत है.
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