हरिकांत शर्मा/आगराः आगरा शहर को भगवान भोलेनाथ की नगरी कहा जाता है. इसके चारों कोने पर महादेव के चार प्रसिद्ध मंदिर हैं. सावन के माह में  इन चारों मंदिरों पर मेले का आयोजन किया जाता है.  साथ ही यहां सोमवार को मेला लगाया जाता है. इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग 10 हजार साल पुराने हैं. वहीं मंदिर के मेले से जुड़ी एक कथा काफी प्रचलित है.

कहा जाता है कि 125 साल पहले जंगलों में शिकार के दौरान, एक अंग्रेजी अफसर की पत्नी गुम हो गई थी. उस अफसर ने भगवान कैलाश महादेव मंदिर में आकर अर्जी लगाई और उसकी पत्नी मिल गई. उसके बाद से उस अंग्रेज अफसर ने सावन के तीसरे सोमवार को लगने वाले कैलाश मंदिर की सरकारी छुट्टी का ऐलान कर दिया, जो 125 सालों से आज भी जारी है. जब भी कैलाश मंदिर का मेला सावन के तीसरे सोमवार को लगाया जाता है तो आगरा में सरकारी छुट्टी घोषित की जाती है.

 परशुराम ने स्थापित की थी शिवलिंगमंदिर के महंत निर्मल गिरी महाराज बताते हैं कि मंदिर में दो जुड़वा भगवान शिव की शिवलिंग स्थापित है. इन दोनों ही शिवलिंग की स्थापना भगवान परशुराम और उनके पिता जमदग्नि ऋषि ने कराई थी. महंत आगे बताते हैं कि कैलाशपति महादेव का दरबार 10000 वर्ष से अधिक पुराना है. इस मंदिर में जुड़वा शिवलिंग हैं, जो दुर्लभ हैं. देश में कहीं भी एक साथ एक ही आकर की जुड़वा शिवलिंग नहीं है. मंदिर से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर महर्षि परशुराम के पिता और माता का आश्रम रेणुका धाम भी मौजूद है, जिसे वर्तमान में रुनकता के नाम से जाना जाता है.

कैलाश से शिवलिंग लाए थे परशुराममान्यता है कि त्रेता युग में भगवान विष्णु के छठवें अवतार भगवान परशुराम और उनके पिता जमदग्नि ऋषि ने कैलाश पर्वत पर भगवान भोले को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी. दोनों की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान महादेव ने वरदान मांगने को कहा तो भगवान परशुराम ने महादेव को अपने साथ चलने का आग्रह किया. भगवान शिव ने दोनों को अपने स्वरूप की शिवलिंग दी. आज जिस जगह पर मंदिर स्थापित है. वहां पर रात्रि विश्राम के लिए जगदम ऋषि और भगवान परशुराम रुके थे. सुबह पूजा पाठ करने के बाद जैसे ही शिवलिंग को उठाया तो आकाशवाणी हुई कि अब शिवलिंग वहीं स्थापित रहेगी. उसके बाद से भगवान परशुराम ने विधि विधान के साथ शिवलिंग को वहीं स्थापित कर दिया.

हजारों की संख्या में पहुंचते भक्तसावन के तीसरे सोमवार को कैलाश मंदिर का मेला लगता है. मंदिर की तैयारी एक सप्ताह पहले से शुरू कर दी जाती है. सड़कों पर रूट डायवर्सन किया जाता है. मथुरा फिरोजाबाद नेशनल हाईवे के दोनों तरफ मेला लगता है. मेले में हजारों की संख्या में भक्तजन पहुंचते हैं. बड़े-बड़े साउंड और डीजे लगाए जाते हैं. कई दशकों तक यह मेला आगरा सिकंदरा स्मारक के भीतर लगता था. लेकिन अब यह मेला सिकंदरा स्मारक परिसर से बाहर लगाया जाता है.
.Tags: Agra news, Local18, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : August 21, 2023, 10:26 IST



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