Health

1 in every 10 Indian woman is suffering from endometriosis it increase risk of infertility | भारतीय महिलाओं के लिए बड़ा खतरा! हर 10 में से एक एंडोमेट्रियोसिस की शिकार, बांझपन



आज के समय में महिलाओं की सेहत को लेकर कई नई बीमारियां सामने आ रही हैं, जिनमें से एक एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) भी है. यह एक गंभीर और तकलीफदेह बीमारी है, जो महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है. ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में हर 10 में से 1 महिला इस बीमारी की शिकार है, लेकिन ज्यादातर मामलों में इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिसके कारण यह बांझपन (Infertility) का कारण बन सकती है.
एंडोमेट्रियोसिस एक गायनोकोलॉजिकल (स्त्री रोग संबंधी) समस्या है, जिसमें गर्भाशय के अंदर पाई जाने वाली एंडोमेट्रियल टिशू गर्भाशय के बाहर विकसित होने लगती है. यह ज्यादातर अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब और पेल्विस के आसपास विकसित होती है, जिससे महिलाओं को अत्यधिक दर्द, अनियमित पीरियड्स और प्रजनन समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
क्या कहती है रिसर्च?हाल ही में हुई एक स्टडी में यह पाया गया कि भारत में 25 से 40 साल की महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. हर साल इस बीमारी के कारण हजारों महिलाओं को गर्भधारण करने में दिक्कतें आती हैं. डॉक्टर्स के मुताबिक, अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह डिम्बग्रंथि सिस्ट और बांझपन का खतरा बढ़ा सकती है.
क्या हैं इसके लक्षण?महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य संकेत इस प्रकार हैं:* पीरियड्स के दौरान असहनीय दर्द* अनियमित पीरियड्स* गर्भधारण में कठिनाई* पेल्विक एरिया में दर्द* पेट में सूजन और गैस की समस्या
क्या एंडोमेट्रियोसिस से प्रेग्नेंसी में होती है दिक्कत?जी हां! एंडोमेट्रियोसिस का सीधा असर महिला की प्रजनन क्षमता पर पड़ता है. इससे अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब्स प्रभावित हो सकते हैं, जिससे अंडाणु और शुक्राणु का मिलना मुश्किल हो जाता है. यही वजह है कि 50% से अधिक महिलाओं में यह बांझपन का कारण बनता है.
क्या है इसका इलाज?* मेडिकल थेरेपी: हार्मोनल ट्रीटमेंट और दवाइयों से इसे कंट्रोल किया जा सकता है.* सर्जरी: गंभीर मामलों में एंडोमेट्रियल टिशू को हटाने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है.* लाइफस्टाइल चेंजेस: सही डाइट, नियमित व्यायाम और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर इस बीमारी के प्रभाव को कम किया जा सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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